
दिवाली और छठ पूजा में लाखों की संख्या में बिहारी अपने घर आये. पूजा सम्पन्न हो चुका है,अब बिहारी अपने रोजी-रोटी के ठिकाने पर जा रहे हैं…
आने जाने के लिए बिहार के लोगों की बड़ी ही बुरी हालत होती है. हज़ारों किमी की दूरी तय करते हैं. ट्रेन -बसों में धक्के खाते आते हैं… पैसा खर्च करके भी इनको कोई सहूलियत तो नहीं मिल पाती, हां दो -चार डंडे जरूर मिलते हैं. ट्रेन घंटों लेट चलाई जाती है… वन्दे भारत जैसी ट्रेन चलाकर 4500 रूपये में चेयर की यात्रा की सुविधा दी जाती है.. खाना की व्यवस्था महा घटिया रहती है.घंटों लेट चलती है ट्रेन…अब इन्हें वापिस जाना होता है.वापसी करने वालों की संख्या हजारों नहीं,लाखों में होती है…आंकड़े बता रहे हैं कि प्रतिदिन बिहार से दो से ढाई लाख की संख्या में लोग अपने गंतव्य स्थान की ओर प्रस्थान कर रहे हैं.
देखिये, कब बिहार को सम्मान मिलता है, पैसा ख़र्च करने के बाद भी इनको कब इज्जत से यात्रा करने को मिलती है… बिहार के कृपा से चलने वाली केंद्र सरकार, कब बिहार को तवज्जो देती है…..कब बिहारी को इज़्ज़त देती है….