दो कमरे के एक सरकारी स्कूल जहां 1 से आठ वर्ग तक होती है पढ़ाई

विजय पांडेय
बड़हरा प्रखंड अंतर्गत एक ऐसा विद्यालय जहां दो कमरे में वर्ग एक से वर्ग आठ तक की बच्चों की पढ़ाई की जाती है. बिहार सरकार में शिक्षा की ऐसी व्यवस्था शिक्षा विभाग के व्यवस्था को आइना दिखा रहा है। शिक्षक कैसे करते होंगे बच्चों की पढ़ाई।
यह उनके समक्ष यक्ष प्रश्न है। दो कमरे के विद्यालय में एक से आठ तक के छात्र एवं छात्र कैसे शिक्षा ग्रहण करते होंगे ।इसको लेकर कभी भी शिक्षा विभाग के पदाधिकारी का ध्यान इस समस्या पर नहीं। बड़हरा प्रखंड अंतर्गत पूर्वी गुंडी पंचायत के छोटकी इटहना गांव में ऐसा ही एक विद्यालय स्थित है। उत्क्रमित मध्य विद्यालय छोटकी इटाहना जहां दो कमरे के भवन में वर्ग एक से आठ तक के बच्चों की पढ़ाई की जाती है शिक्षा प्रणाली की यह व्यवस्था विभाग के मुंह पर एक तमाचा है। इस स्कूल को देखने के बाद ऐसा लगता है जैसे सरकार की सारी सुविधा बस कहने को है।
इस विद्यालय में छात्रों की संख्या 123 है तथा वर्ग 1 से 8 तक का कक्षा संचालित होता है कैमरा की अभाव में एक एवं दो वर्ग के बच्चों की पढ़ाई बरामदा में की जाती है। बरामदे में बेंच की व्यवस्था नहीं है। वही वर्ग 3 ,4 एवं वर्ग सात की पढ़ाई कमरा नंबर 1 में होती है। वर्ग 5 और 6 की पढ़ाई कमरा नंबर दो में की जाती है। तथा टिन के कारकेड के बने सेड में वर्ग 8 की पढ़ाई होती है।
इस विद्यालय में शिक्षकों की संख्या सात है जिसमें चार पुरुष एवं तीन महिला शिक्षक है। विद्यालय में शिक्षकों को बैठने के लिए कमरा उपलब्ध नहीं है। वहीं शिक्षकों के सामने मध्यान भोजन का अनाज रखने की समस्या बनी रहती है ।विद्यालय प्रांगण में हाल में एक छोटा सा किचेन का निर्माण कराया गया है। शिक्षकों की माने तो पढ़ाई करने में उन्हें काफी असहजता महसूस होती है। एक ही कमरा में अलग-अलग वर्ग के बच्चों को बैठा कर शिक्षा देना एक जटिल समस्या है ।पढ़ाने में शिक्षकों को काफी परेशानी होती है। शिक्षकों का कहना है कि यदि सरकार इस समस्या पर पहल करके विद्यालय में वर्ग कक्षा का निर्माण करवा देगी तो यहां बच्चों को काफी फायदा होगा।
उत्क्रमित मध्य विद्यालय छोटकी इटाहना की स्थिति सरकारी विकास के दावे को आईना दिखाने के लिए काफी है। इस विद्यालय में पढ़ने वाला विद्यार्थी कितना परेशान है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आठ कक्षाओं का संचालन दो कमरे में कैसे हो सकता है ।यही स्थिति छात्र-छात्राओं के साथ-साथ शिक्षकों एंव अभिभावकों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है।
क्या कहते हैं बच्चे
वर्ग सप्तम के अमन कुमार ने बताया कि हम लोग विद्यालय में के पढ़ने के लिए आते हैं ।लेकिन एक ही कमरा में तीन वर्गों की पढ़ाई होती है जिससे हम लोग का ध्यान भटक जाता है। हम लोग इधर-उधर की बातें सुनाने लगते हैं। पढ़ाई नहीं हो पाती । 8 वीं की छात्रा लक्ष्मिणा कुमारी ने बताया कि हमलोगो की पढ़ाई राम भरोसे है। शिक्षक पढ़ाते हैं लेकिन दूसरे वर्ग के विद्यार्थी एवं अन्य शिक्षक होने के कारण पढ़ाई करने में असहजता महसूस होती है । वहीं ही छठा वर्ग का विद्यार्थी सर्वजीत कुमार ने बताया क्लास में पढ़ने के लिए जाते हैं लेकिन पांचवा क्लास की पढ़ाई सुनने लगते हैं । ध्यान का विकेंद्रीकरण होता रहता है ।अगर एक कमरा में एक वर्ग की पढ़ाई होती तो हम लोगों का जिंदगी संवर जाता।
उत्क्रमित मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक महफूज आलम ने बताया कि हम लोग शिक्षा विभाग के कड़ी है हम विद्यालय में पढ़ने के लिए आते हैं संसाधन के अभाव में भी बच्चों को अच्छी शिक्षा देने का प्रयास करते हैं
वहीं शिक्षक प्रमोद कुमार ठाकुर उर्फ अंजनी ठाकुर ने बताया कि विद्यालय में जगह का अभाव है। विभाग चाहे तो छत के ऊपर कमरा बनाकर व्यवस्था की जा सकती है। बिहार सरकार शिक्षा विभाग सरकारी विद्यालयों के शिक्षा स्तर को उठाने के लिए सतत प्रयत्नशील है।
शिक्षा विभाग के पदाधिकारी की उदासीनता एवं उपेक्षा का शिकार उत्क्रमित मध्य विद्यालय छोटकी इटाहना बना हुआ है । शिक्षा विभाग शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने हेतु विद्यालय के भवन, पठन-पाठन,उपस्कर-उपकरण, खेलकूद, मध्यान भोजन एंव शिक्षकों की उपस्थिति पर विशेष ध्यान दे रहा है।