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याद किये गए पवन श्रीवास्तव

लोकनायक मुक्त कलामंच पर जेपी सेनानी, कवि, साहित्यकार व संस्कृतकर्मी पवन श्रीवास्तव की कलश सम्मान एवं श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। इस सभा में पवन जी जिन संस्थाओं से जूड़े थे, प्रत्येक संस्था से एक-एक प्रतिनिधि मुख्यवक्ता के रूप में शामिल हुए। सभा का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता व रंगकर्मी अशोक मानव ने किया। सभा को संबोधित करने वाले लोगों में आरा के सांसद सुदामा प्रसाद ने पवन जी के जीवन यात्रा को रखते हुए उनके साथ बिताये स्कूल के जमाने को याद किए। साथ ही, उन्होंने पवन जी के सामाजिक व सांस्कृतिक जीवन पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। रंगकर्मी के प्रतिनिधि आरा रंगमंच के अभिनेता साहेबलाल यादव ने उनकी अंतिम नाटक ‘दूसाधी बधार’ का जिक्र किया और उन्होंने यह भी कहा कि परिवार व संगठन को कैसे जोड़कर कर चला जाता है। पवन जी साथ आरा समाहरणालय में साथ काम करने वाले आनन्द सिन्हा ने बताया कैसे बंद पड़े पुस्तकालय को अपने प्रयासों से पुन: खुलवाया। नाथुराम ने उनके साथ किए 1974 आन्दोलन व जेल यात्रा की चर्चा करते हुए अपने साथी को याद किया। साहित्यकार जनार्दन मिश्र ने अपने वक्तव्य में पवन जी की गीतों व गजलों को याद किया। अंत में नीरज सिंह ने उनके मरने के बाद उनपर जो रचना लिखी थी, का सस्वर वाचन किया।

सुशील कुमार ने पवन जी की लिखी हुई दो कविताओं का पाठ किया। अंत में रंगकर्मियों के तरफ से अशोक मानव एक प्रस्ताव दिया कि मुक्ताकाश के प्रांगण में उनकी प्रतिमा स्थापित किया जाय। सभा समाप्ति से पहले दो मिनट का मौन रख सभा को समाप्त की गई। तत्पश्चात एक सह भोज में सब लोग शामिल हुए।

प्रमुख लोगों में सांसद सुदामा प्रसाद, उमेश सिंह, लाल बहादुर लाल, अनिल तिवारी दीपू, राजेन्द्र मनिआरा, ननद गोपाल जी, राणा प्रताप सिंह, आलोक दीपक, सुधीर मिश्रा, अमरेंदर जी, अजय सिंह,अरुण श्रीवास्तव, शशि भूषण लाल, बिजय कुमार,संजय पाल, सुधीर शर्मा आदि.

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