
उत्तरप्रदेश पीसीएस एग्जामिनेशन को लेकर सरकार छात्रों के आगे तो झुक गई लेकिन उसमें भी कुछ खेल कर गई. छात्र भी सरकार की इस चाल को समझते हुए अब पीछे नहीं हटने का निर्णय ले लिया है.
पीसीएस का एग्जाम में एक ही दिन लेने का सरकार का निर्णय को लेकर सरकार नियत में छात्रों को खोट नजर आ रहा है. आंदोलनकारी विद्यार्थी आरओ-एआरओ परीक्षा को भी एक दिन में कराने की मांग पर अड़े हैं. आयोग के सचिव ने कहा कि आरओ-एआरओ के लिए उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया जाएगा.
कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर परीक्षा कराने का निर्णय लिया जाएगा, लेकिन छात्र मानने के लिए तैयार नहीं हैं. चाहते हैं कि आयोग एक दिन परीक्षा कराने का नोटिस जारी करे, जिस तरह से पीसीएस को कराने का जारी किया गया है.
आरओ-एआरओ परीक्षा में पंजीकृत हैं 10 लाख से अधिक अभ्यर्थी
आरओ/एआरओ परीक्षा में तो 1076004 अभ्यर्थी पंजीकृत हैं, जिनकी संख्या पीसीएस परीक्षा के मुकाबले कहीं अधिक है. पीसीएस के अधिकतर छात्र RO /ARO के भी परीक्षार्थी हैं. शासनादेश के अनुसार ऐसे परीक्षा केंद्र न बनाएं जाएं जो प्राइवेट या अधोमानक हों.शासनादेश के अनुसार कलेक्ट्रेट/कोषागार से 20 किमी की परिधि तक परीक्षा केंद्रों के विस्तार की कोशिश की गई है. विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों, मेडिकल कॉलेजों, इंजीनियरिंग कॉलेजों को भी शामिल करने की कोशिश की गई, लेकिन पर्याप्त संख्या में केंद्र नहीं मिल सके.
हर संभव प्रयास करने के बावजूद पर्याप्त संख्या में परीक्षा केंद्र उपलब्ध न होने के कारण एक से अधिक दिनों में परीक्षा कराने का निर्णय लिया गया था और इन परिस्थितियों में प्रसामान्यीकरण (नॉर्मलाइजेशन) की प्रक्रिया को अपनाया गया, जिसे सिविल अपील उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य बनाम अतुल कुमार द्विवेदी व अन्य में आइडियल जनवरी 2024 को पारित उच्चतम न्यायालय के निर्णय में उचित माना गया है.