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अवैध बालू खनन माफियाओं के खिलाफ बना सख्त क़ानून, पकड़े जाने पर लगेगा का सीसी एक्ट

मुख्य सचिव ने डीएम -एसपी को दिया बालू माफियाओं के खिलाफ एक्शन लेने का पावर

बिहार में बालू को लेकर प्रशासन काफी टाइट होने जा रहा है और जिस तरह के नियम कानून बना रहे हैं वह बालू माफियाओं के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है.राज्य की नदियों से अवैध तरीके से बालू खनन के मामले लगातार बढ़ रहे हैं.आए दिन किसी न किसी जिले से अवैध खनन की सूचना आती है. बालू के अवैध तरीके से होने वाले खनन से बालू की कीमतों में लगातार उछाल की समस्या बनी रहती है, वहीं सरकार को राजस्व का नुकसान भी उठाना पड़ता है. बालू खनन में बालू माफिया इतनी शक्तिशाली हो गए हैं कि एक सेवा के बराबर अपनी शक्ति मेंटेन रखते हैं. ऐसी शक्तियों से निपटने के लिए सरकार बहुत ही कड़ी नियम लाने जा रही है

इसी नियम को लेकर मुख्य सचिव ने जिला अधिकारी और पुलिस अधीक्षक के साथ एक मीटिंग रखी है.

 

राज्य के मुख्य सचिव अमृतलाल मीणा ने बालू माफियाओं के खिलाफ क्राइम कंट्रोल एक्ट (सीसीए)-2023 के तहत मामले दर्ज करेगी.

मुख्य सचिव के स्तर पर प्रदेश की विधि-व्यवस्था से संबंधित बैठक में नदियों से अवैध खनन के बढ़ते मामलों की समीक्षा की गई. यह बात सामने आई कि प्रदेश में बहने वाली नदियों से लाल बालू के साथ ही सफेद बालू के अवैध खनन के मामले निरंतर बढ़े हैं.

प्रत्येक जिले में बालू माफिया की गतिविधियां प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं. लगभग हमेशा ही यह बालू माफिया प्रशासन के साथ हिंसात्मक ढंग से पेश आने लगते हैं.

खनन पदाधिकारियों के साथ पुलिस बल पर भी हमले की सूचना आम बात हो गई है. इसके अलावा सरकार के राजस्व का बड़ा हिस्सा भी प्रभावित होता है.

ऐसे मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए मुख्य सचिव मीणा ने बैठक में मौजूद सभी जिलाधिकारियों और आरक्षी अधीक्षकों को निर्देश देते हुए कहा कि बालू की अवैध खनन पर लगाने के लिए ऐसे तत्वों के खिलाफ क्राइम कंट्रोल एक्ट-2023 के तहत मामले दर्ज कीजिये.

राज्य में चल रहे संगठित गिरोह या धंधेबाज हैं, उनकी पहचान करते हुए उनकी गैरकानूनी गतिविधियों पर अंकुश लगाए और सीसीए 2023 में किए गए प्रविधानों को सख्ती के साथ लागू करें. उन्होंने डीएम और एसपी को इस संबंध में एक प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय भेजने का निर्देश दिया.

 

सीसी एक्ट क्या है—————_

इस कानून में डीएम के साथ साथ एसपी को भी असीमित शक्ति और अधिकार होते हैं.

इस कानून के तहत जिलाधिकारी को वारंट जारी करने, गिरफ्तार करने, जेल भेजने एवं बेल देने का अधिकार है.

आपराधिक मामलों में शामिल तत्वों को छह महीना तथा जिला एवं राज्यों से तड़ीपार करने का भी इस एक्ट में शामिल है.

दो वर्ष में दो आपराधिक मामले में अगर पुलिस, न्यायालय में किसी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करती है, तो उसे असामाजिक तत्व की श्रेणी में रखकर उसके खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाती है.

इसके अलावा गैरकानूनी सामान जब्त करने, अपराधी पर अन्य प्रकार की ठोस कार्रवाई करने का अधिकार भी डीएम के पास होता है.

 

 

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