
यह कहानी नई और बिल्कुल सच्ची है.एक बुजुर्ग दम्पति की प्यारी लेकिन संघर्षपूर्ण भावुक कहानी.बुजुर्ग दंपति अपना पिंड दान और श्राद्ध कर्म खुद कर लेते हैं. हालांकि वे जिंदा है और स्वस्थ भी.पर ये गया में पिंडदान करने के लिए जाते हैं और पिंडदान करके गांव वापस आकर 700 लोगों को श्राद्ध का भोजन कराते हैं.
वैसे यह हैरान करनेवाली मार्मिक कहानी है बुजुर्ग दम्पत्ति विश्वनाथ राय, जिनकी उम्र 85 वर्ष है और नागिया देवी, उम्र 80 वर्ष की, जो मुजफ्फरपुर के साहिबगंज प्रखंड के बी कल्याण पंचायत के वार्ड नंबर 5 के रहने वाले हैं. यह गांव विश्वनाथ राय का ससुराल है.वह नागिया देवी के साथ इस गांव में लगभग 40 सालों से रह रहे हैं. नागिया देवी अपनी आंखों से देख नहीं पाती हैं. वैसे तो विश्वनाथ राय को भी एक ही आँख से दिखाई पड़ता है. विश्वनाथ राय ही उनकी देखभाल करते हैं… जिन्हें कोई संतान नहीं है.
यह बुजुर्ग दंपत्ति एक आदर्श युगल जोड़ी है. विश्वनाथ राय हलवाई का काम करते हैं.इनके भी एक आंख से कम दिखता है. इनकी संतानें हुईं थीं पर उनकी मौत हो गयी. नागिया देवी का भाई राम इकबाल राय भी इन्हीं लोगों के साथ रहता है, जिसे एक बेटा है….पर उनका कहना है कि उनका लड़का तो है लेकिन वह मेरी ही देखभाल नहीं करता, जब अपने माता-पिता का देखभाल वह नहीं करता तो मेरी बहन और बहनोई का देखभाल क्या खाक करेगा!!!
स्थिति को देखकर दोनों दंपति विश्वनाथ राय और नगीना देवी ने अपना श्राद्धकर्म ख़ुद कर लिया. अपने जीते-जी ही कर लिया. क्या पता कल को कोई करेगा या नहीं करेगा !!! विश्वनाथ राय बताते हैं कि गया में श्राद्ध करने में 20000 रुपये खर्च हुए. फिर गांव आने के बाद बड़े ही शौक से अपने श्राद्ध में हमने 700 लोगों को खिलाया,अब हमारी आत्मा संतुष्ट हो गयी है.